जिन्दगी हल्की फुल्की हैबस उम्मीदों का बोझ भारी है lजिन्दगी कल भी बहुत प्यारी थी,जिन्दगी आज भी बहुत न्यारी है l
वो अपनी ज़िंदगी में हुआ मशरूफ इतना;
वो किस-किस को भूल गया उसे यह भी याद नहीं।
तुझे चाहता रहा मै इस कदर,
के दुनिया व् भुला बैठा,
तेरी एक हसी के बदले,
अपनी ज़िन्दगी भुला बैठा
उसने कहा चले जाओ
मेरी ज़िन्दगी से,
मेने कहा कौन हो तुम
भाईसाहब!!
Main uske haathon ka khilona hi sahi;
kuch der ke liye hi sahi, usne mujhe chaha to hai..