पहले पहल सब ठीक लगता है,फिर सब धुंधला दिखता है..इश्क़ मे अक्सर मिलने मे भी,कई बार धोखा लगता है l
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.
याद आयेगी हमारी तो बीते कल को पलट लेना ..
यूँ ही किसी पन्ने में मुस्कुराते हुए मिल जायेंगे ..
क्यूँ किसी की यादों को सोच कर रोया जाए,
क्यूँ किसी के ख्यालों में यूँ खोया जाए,
बाहर मौसम बहुत ख़राब हैं,
क्यूँ न रजाई तानकर सोया जाए...
अपने खिलाफ बाते खामोशी से सुन लो,यकीन मानो वक्त बेहतरीन जवाब देगा।