कितना भी कह लूँ,कुछ बाकी रह जाता है lकितना भी पी लूँ,बिन साक़ी अधूरा रह जाता है l
सर्दी में भी ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए,
ज्यादा ठंड लगे तो रजाई में घुस जाना चाहिए…
बडी लम्बी खामोशी से गुजरा हूँ मै,किसी से कुछ कहने की कोशिश मे।
सुना है, खुदा के दरबार से कुछ फ़रिश्ते फरार हो गए,
कुछ तो वापस चले गए, और कुछ हमारे यार हो गए
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।