काशी कबहु ना छोड़िए, विश्वनाथ का धाम..मरने पर गंगा मिले, जियते लंगड़ा आम..
इक उम्र तक मैं जिसकी जरुरत बना रहा
फिर यूँ हुआ कि उस की जरुरत बदल गई।
दूर हो जाने की तलब है तो शौक से जा…
बस याद रहे की मुड़ कर देखने की आदत इधर भी नही…
Aa Bichadne Ka Koi Aur Tareeqa DhoodhenPyyar Badhta Hai Meri Jaaan Khafa Rahne Se
Na Samet Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,
Kasam Tumhari Tumhein Itni Mohabbat Karte Hain.