इश्क़ का बीज*********बरसों पहले बोयापर खिला है अभी..फिर इश्क़ भी भलाबुढ़ा हुआ है कभी..
कौन कहता है मुझे ठेस का एहसास नहीं,
जिंदगी एक उदासी है जो तुम पास नहीं,
मांग कर मैं न पियूं तो यह मेरी खुद्दारी है,
इसका मतलब यह तो नहीं है कि मुझे प्यास नहीं.
मैंने भी किसी से प्यार किया था
उनकी रहो में इंतजार किया था
हमें क्या पता वो भूल ज्यांगे हमें
कसूर उनका नहीं मेरा ही था
जो एक बेवफा से प्यार किया था !!
ये कैसा सरूर है तेरे इश्क का मेरे मेहरबाँ,
सँवर कर भी रहते हैं बिखरे बिखरे से हम!
मिलने का वादा कर गयी थी,
वापस लौट आउंगी ये कहकर गयी थी,
आई है अब वो जनाज़े पे मेरे,
वादा वो अपना निभाने चली थी!!