ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को
ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह..!
इश्क़ वही है जो हो एकतरफा हो
इज़हार-ऐ-इश्क़ तो ख्वाहिश बन जाती है
है अगर मोहब्बत तो आँखों में पढ़ लो ज़ुबान से इज़हार तो नुमाइश बन जाती है
कभी शोख हैं,
कभी गुम सी है..
ये बारिशे भी तुम सी है..
दूसरों की मानोगे तो मुझे
बुरा ही पाओगे, लेकिन
खुद मिलोगे तो वादा रहा,
मुस्कुरा कर जाओगे...!!