मैं तो वैरागी हूं,ना सम्मान ना मोह,ना अपमान ना भय,ना शत्रु, ना कोई मित्र,ना कोई अपना ना परायाना ईश संसार से कोई लेना ना देनापर कभी धर्म के नाम पे किये जाने वालाआडम्बर पक्षपात का आधार बनेगा तोमें उसका विनाश अवश्य ही करूँगा..
त्याग दी सब ख्वाहिशें
कुछ अलग करने के लिए
“राम” ने खोया बहुत कुछ
“श्री राम” बनने के लिए
सफलता ना मिले तो घबराना नही,
रुक कर सोचना तो पाओगे की ,
कुछ कदम चलना अभी शेष है।
जब भक्ति भोजन में मिलती है, तो प्रसाद बन जाता है,
जब पानी में मिलती है, तो चरणामृत बन जाता है,
जब घर में मिलती है, तो मंदिर बन जाता है,
जब व्यक्ति में मिल जाता, तो वह भक्त बन जाता है।
पैसे से बिस्तर खरीदा जा सकता है, नींद नहीं
पैसे से महल खरीदा जा सकता है लेकिन खुशियाँ नहीं