मेरे महाकाल तुम्हारे बिना मैं शून्य हूँ …..
तुम साथ हो महाकाल तो में अनंत हूँ …
जय श्री त्रिकालनाथ महाकाल….
अहंकार” और “संस्कार” में फ़र्क़ है…
“अहंकार” दूसरों को झुकाकर कर खुश होता है,
“संस्कार” स्वयं झुककर खुश होता है..!
अमर वही इंसान होते हैं
जो दुनियां को कुछ देकर जाते हैं
बुजदिल हैं वो लोग जो मुहब्बत नहीं करते
जिगर चाहिए खुद को बर्बाद करने के लिए
आज भी मेरी फरमाइशें कम नही होती,
तंगी के आलम में भी, पापा की आँखें कभी नम नहीं होती.