तेरे दरबार में आकर, ख़ुशी से फूल जाता हूँ..
गम चाहे कैसा भी हो, मै आकर भूल जाता हूँ..
बताने बात जो आऊ, वही मै भूल जाता हूँ..
ख़ुशी इतनी मिलती है कि, मांगना भूल जाता हूँ..हर हर महादेव 🙏🙏🙏
यदि आप डर पर विजय पाना चाहते हैं तो घर बैठे उसके बारे में सोचिये मत. बाहर निकालिए और अपने काम मे व्यस्त हो जाइये।
Hum toh fanaah ho gaye uski ankhen dekh kar Ghalib,Na jane woh Aaina kaise dekhte honge.
अहंकार” और “संस्कार” में फ़र्क़ है…
“अहंकार” दूसरों को झुकाकर कर खुश होता है,
“संस्कार” स्वयं झुककर खुश होता है..!
ये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा,
सियासत अपनी चालों से कब तक किसान को छलता रहेगा.