ज़िंदगी खेल हैं शतरंज का,
तुम्हें कब, कौन और कहाँ मात दे दे क्या पता !
जब भक्ति भोजन में मिलती है, तो प्रसाद बन जाता है,
जब पानी में मिलती है, तो चरणामृत बन जाता है,
जब घर में मिलती है, तो मंदिर बन जाता है,
जब व्यक्ति में मिल जाता, तो वह भक्त बन जाता है।
“लोग क्या कहेंगे”- ये बात इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती
किसी की बुराई तलाश करने वाले इंसान की मिसाल उस मक्खी की तरह हैजो सारे खूबसूरत जिस्म को छोडकर केवल जख्म पर ही बैठती है…
किसी की बुराई तलाश करने वाले इंसान की मिसाल उस मक्खी की तरह है
जो सारे खूबसूरत जिस्म को छोडकर केवल जख्म पर ही बैठती है…
परिश्रम वह चाबी है
जो सौभाग्य के द्वार खोलती है