जो मेरे जिस्म की चादर बना रहा बरसों…ना जाने क्यों वो मुझे बेलिबास छोड़ गया !!
Sadiya Guzar Gayi Kisi Ko Apna Bnane Me...
Magar Pal Bhi Na Laga Unhe Hamse Door Jane Me...
मुझे सहल हो गई मंजिलें वो,
हवा के रुख भी बदल गये,
तेरा हाथ, हाथ में आ गया,
कि चिराग राह में जल गये।
अरे बेपनाह मोहब्बत की थी हमने तुझसे ओ बेवफा !
तुझे दुःख दूं ये न होगा कभी खुद मर जाऊं यहीं ठीक है !!
Ruth jao kitna bhi mana lenge
Dur jao kitna bhi bula lenge
Dil aakhir dil he sagar ki ret to nahi
Ki naam likh kar usse mita denge