अब तो कुछ भी चाहने से भी डर लगता है मुझको क्योंकि, जो भी चाहा आज तक मुझे वो हमेशा ही नहीं मिला,गुस्सा मुझे इस बात का नहीं है की जो सोचा वो नहीं मिला, बल्कि इस बात का है कि मैंने किसी को चाहा पर मुझे चाहने वाला नहीं मिला। 😠😓
अब तो कुछ भी चाहने से भी डर लगता है मुझको क्योंकि,
जो भी चाहा आज तक मुझे वो हमेशा ही नहीं मिला,
गुस्सा मुझे इस बात का नहीं है की जो सोचा वो नहीं मिला,
बल्कि इस बात का है कि मैंने किसी को चाहा पर मुझे चाहने वाला नहीं मिला। 😠😓
कुछ अल्फ़ाज़ की तरतीब से बनती है शायरी
कुछ चेहरे भी मुकम्मल ग़ज़ल हुआ करते हैं
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझको
इस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये
वो शायद मतलब से मिलते हैं,
मुझे तो मिलने से मतलब है.!
मैंने दबी आवाज़ में पूछा - "मुहब्बत करने लगी हो?"नज़रें झुका कर वो बोली - "बहुत"