यूँ जमीन पर बैठकर क्यों आसमान देखता हैं,पंखों को खोल जमाना सिर्फ़ उड़ान देखता है.
यूँ जमीन पर बैठकर क्यों आसमान देखता हैं,
पंखों को खोल जमाना सिर्फ़ उड़ान देखता है.
Us Fiza Mein Bhi Jalta Raha
Mein Kisi Ke Liye…..
Jaha Charaag Bhi Taraste They Roshni Ke Liye…
इंसानी जिस्म में सैंकड़ों हैवान देखे हैं,
मैंने दिल में रंजिश रख महफ़िल में आये मेहमान देखे हैं|”
Aa Bichadne Ka Koi Aur Tareeqa DhoodhenPyyar Badhta Hai Meri Jaaan Khafa Rahne Se
तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे,
मगर अब आँख भर आती है तुम नजर नही आते हो।