दास्तान मेरे लाड – प्यार की बस
एक हस्ती के इर्द – गिर्द घुमती है
न कुर्बतों मेंसुकून हैन फासलों में करार हैना वस्ल में मज़ा हैन हिज़्र मेंवो सज़ा हैमैं कहूँ जान की आफततुम कहते हो कि प्यार है
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है
वो बेवफा हर बात पे देता है परिंदों की मिसाल,
साफ साफ नहीं कहता मेरा शहर छोड़ दो।
Meri yadon se agar bach niklo to waada mera hai tumse,
Main khud duniyaa se keh doon ga ke kammi meri wafaa mein thi..!