ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोच कर गुज़ार दी……
उनका भी कभी हम दीदार करते है,उनसे भी कभी हम प्यार करते है,क्या करे जो उनको हमारी जरुरत न थी,पर फिर भी हम उनका इंतज़ार करते है..!!
ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता ,
एक ही शख्स था क्या पुरे जहान में .....
मैं उसका हूँ, यह तो मैं जान गया हों लेकिन,
वह किस का है, ये सवाल मुझे सोने नहीं देता......
आँखों में मंज़िलें थी
गिरे और सँभालते रहे..
आँधियों में क्या दम था
चिराग हवा में भी जलते रहे…