दस्तक और आवाज तो कानों के लिए है…
जो रुह को सुनाई दे उसे खामोशी कहते हैं!
जादू हैं उसकी हर एक बात में,
याद बहुत आती है दिन और रात में,
कल जब देखा था मेने सपना रात में,
तब भी उसका ही हाथ था मेरे हाथ में
Kabhi Ji Bhar Ke Barasna, Kabhi Bond Bond Ke Liye Tarasna,Ay Barish Teri Aadatein Mere Yaar Jesi Hain…!
उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।
हम तस्लीम करते हैं,
हमें फुर्सत नहीं मिलती,
मगर ये भी ज़रा सोचो,
तुम्हें जब याद करते हैं,
ज़माना भूल जाते हैं|