हार को जीत की इक दुआ मिल गईतप्त मौसम में ठंडी हवा मिल गईआप आये श्रीमान जी यूँ लगाजैसे तकलीफ़ को कुछ दवा मिल गई।
हार को जीत की इक दुआ मिल गई
तप्त मौसम में ठंडी हवा मिल गई
आप आये श्रीमान जी यूँ लगा
जैसे तकलीफ़ को कुछ दवा मिल गई।
हमारी हर रात तम्हारे साथ हो,
ओर प्यार मोहब्बत की बात हो,
हम लेले तुम को बाँहों में अपनी,
फिर बताये तुम ही ज़िन्दगी तुम ही हमारी कैनाथ हो,
गुड नाईट डिअर…
क़सूर उनका नहीं,जो मुझसे दूरियाँ बना लेते है….
रिवाज है ज़माने में,पढ़ी किताबें ना पढ़ने का.....
सिसक कर पूछती हैमुझसे ये तनहाईय़ाजो बड़े हमदर्द थे तेरेआखिर वो बेबफाई कैसे कर गये.
सिसक कर पूछती है
मुझसे ये तनहाईय़ा
जो बड़े हमदर्द थे तेरे
आखिर वो बेबफाई कैसे कर गये.
इत्तेफाक से तो नहीं,
हम दोनों टकराये
कुछ तो साजिश
खुदा की भी होगी