तेरे ख़त की इबारत की मैं स्याही बन गयाहोता तो चाहत की डगर का मैं भी राहीबन गया होता !
तेरे ख़त की इबारत की मैं स्याही बन गया
होता तो चाहत की डगर का मैं भी राही
बन गया होता !
“शाम खाली है जाम खाली है,ज़िन्दगी यूँ गुज़रने वाली है,
सब लूट लिया तुमने जानेजाँ मेरा,मैने तन्हाई मगर बचा ली है”
गुज़र गया वो वक़्त जब तेरे तलबगार थे हम.
अब खुद भी बन जाओ तो सजदा न करेंगे..!
कितने आंसू बहूँगा उस बेवफा के लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब मैं लिखा ही नहीं….
Kyun kisi ki yaadon mein roya jaye,Kyub kisi ke khayalo mein khoya jaye,Mera to yakeen hai,Bahar mausam bahut kharab hai,Kyun na razai tankar soya jaye.
Mujhe mere Kal ki Fikar Aaj bhi nahi hai..
Par Khuwahish tO tujhe Paane ki Qayamat tak rahegi..