तेरे ख़त की इबारत की मैं स्याही बन गयाहोता तो चाहत की डगर का मैं भी राहीबन गया होता !
तेरे ख़त की इबारत की मैं स्याही बन गया
होता तो चाहत की डगर का मैं भी राही
बन गया होता !
तेरे पास में बैठना भी इबादत
तुझे दूर से देखना भी इबादत …….
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत…
Tum Laut k anay ka takalluf mat
Karna,
Hum Ek mohabbat ko Do baar Nahi kartay…
जिंदगी आ बैठ, ज़रा बात तो सुन,
मुहब्बत कर बैठा हूँ, कोई मशवरा तो दे
बरस रहे बादल आँखे रो रहीतन्हाई हर बात कह रहीजाये तो कहा जायेहर ओर गम की हवा चल रहीबड़ा अजीब मंजर है इश्क कामर चुका मानस मगर साँस चल रही