कमाल की निशानेबाज हो तुम
तिरछी नजर से भी सीधा दिल पे वार करती हो
मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता था;
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता था;
सुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगर;
मैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था।
कैसे एक लफ्ज़ में बयां कर दूँ
दिल को किस बात ने उदास किया
कोई कहे इससे जादू की झप्पी,
कोई कहे इसे प्यार…
मौका है खूबसूरत,आ गले लग जा मेरे यार |