पास जब हम बहुत थे तो बहुत दूर थे,दूर थे जब हम तो बस मजबूर थे।जाने किसकी वजह से ये रिश्ता था टूटा,तुम भी बेकसूर थे और हम भी बेकसूर थे।।
पास जब हम बहुत थे तो बहुत दूर थे,
दूर थे जब हम तो बस मजबूर थे।
जाने किसकी वजह से ये रिश्ता था टूटा,
तुम भी बेकसूर थे और हम भी बेकसूर थे।।
Wo awaaz jo waqt ke dhalne se, Dhaltee nahin,
Wo chain-o-sukun, Jo kisi ibadat mein milti nahin,
Suron mein jashn aisi,Jo jalwon mein dikhti nahin,
Na sune inke naghme, Subah-shaam dhalti nahin,
Rooh ki pyaas itnee, Jo is dard-e-dil se mitti nahin..
हमे बेवफा बोलने वाले
आज तू भी सुनले,
जिनकी फितरत ‘बेवफा’
होती है,
उनके साथ कब ‘वफा’ होती है!!
काश तकदीर भी होती किसी जुल्फ की तरह…
जब जब बिखरती संवार लेते…
नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में।