कांटे समझ रहे थे हमारा है दबदबा…
शाखें झुकी हुई थीं फूलों के बोझ से
तुम्हारी दुनिया से चले जाने के बाद
हम तुम्हें हर एक तारे में नजर आया करेंगे
तुम हर पल कोई दुआ माँग लेना
और हम हर बार टूट जाया करेंगे
चंदन की लकड़ी फूलों का हार,अगस्त का महीना सावन की फुहार,भैया की कलाई बहन का प्यार,मुबारक हो आपको रक्षा-बंधनका त्यौहार।
Tu hasi chand kisi aur ka sahi
Par tu mere andhere ki roshni he…
बंदा नहीं है कोई टक्कर
का आज की तारीख में,
इसीलिए लफ्ज कम पड़
जाते है हमारी तारीफ़ में..!!