कांटों से घिरा रहता है चारों तरफ से फूल
फिर भी खिला रहता है, क्या खुशमिजाज़ है
मेरी खमोशियो के राज़ ख़ुद मुझे ही नहीं मालूम…
जाने क्यू लोग मुझे मगरूर समझते है…
तू वाकिफ़ नहीं मेरी दीवानगी से…
जिद्द पर आऊँ तो..ख़ुदा भी ढूंढ लूँ …
क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर..
हाल हमारा वही है, जो तुमने बना रखा है..
मुझे खामोश राहों मै तेरा साथ चाहिए,तनहा है मेरा हाथ तेरा हाथ चाहिए,जूनून-ई-इश्क को तेरी ही सौगात चाहिए,मुझे जीने के लिए तेरा ही प्यार चाहिए !!