कह नही सकते अब कौन अपना है कौन परायाऐ, ज़िन्दगी तूने ये ही सीखाया
कह नही सकते अब कौन अपना है कौन पराया
ऐ, ज़िन्दगी तूने ये ही सीखाया
“हमारे आंसूं पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं,
उनकी इस अदा से वो दिल को चुराते हैं,
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को,
इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं।”
हम है वफ़ा के पुजारी , हरदम वफ़ा करेंगे,
एक जान रह गयी है , इससे भी तुम पर फ़िदा करेंगे.
अल्लाह करे तुमको भी हो चाह किसी की,
फिर मेरी तरह तू भी, राह देखे रहा किसी की
बड़े प्यार से तराशा था उस संगेमरमर कोबड़ा नाज़ था उसे अपने आप पर.एक दरार क्या पड़ीकिसीने मुड़ कर देखना तक गंवारा न समझा.
ये सर्द शामें भी किस कदर ज़ालिम है,बहुत सर्द होती है, मगर इनमें दिल सुलगता है।