क्या चाहती है हम से, हमारी ये ज़िंदगी....क्या क़र्ज़ है जो हम से, अदा हो नहीं रहा....
क्या चाहती है हम से, हमारी ये ज़िंदगी....
क्या क़र्ज़ है जो हम से, अदा हो नहीं रहा....
Hum is kabil to nahi ke koi humein apna samjhega,
Lekin itna to yaqeen hai koi royega bahuat hume kho dene ke baad…
Yeh Mat Samajh Tere Kabil Nahi Hain Hum,Tadap Rahe Hain Woh Jinhein Haasil Nahi Hain Hum.
अपने खिलाफ बाते खामोशी से सुन लो,यकीन मानो वक्त बेहतरीन जवाब देगा।
बहुत अच्छा चल रहा था यह रिश्ता हमारा,बिछड़े इस रफ़्तार से मानो, मैं आसमान और वो टूट ता तारा.
बहुत अच्छा चल रहा था यह रिश्ता हमारा,
बिछड़े इस रफ़्तार से मानो, मैं आसमान और वो टूट ता तारा.