क्या चाहती है हम से, हमारी ये ज़िंदगी....क्या क़र्ज़ है जो हम से, अदा हो नहीं रहा....
क्या चाहती है हम से, हमारी ये ज़िंदगी....
क्या क़र्ज़ है जो हम से, अदा हो नहीं रहा....
कागज़ पे लिखी गज़ल, बकरी चबा गयी !
चर्चा पुरे शहर में हुई, की बकरी शेर खा गयी.
वीणा लेकर हाथ मे, सरस्वती हो आपके साथ मे,मिले माँ का आशीर्वाद आपको हर दिन,हर बार हो मुबारक़ आपको सरस्वती पूजा का ये दिन.
प्यार वो है जिसमें सच्चाई साथ हो
साथी की हर बात का एहसास हो
उसकी हर अदा पर नाज हो
दूर रहकर भी पास होने का अहसास हो
बहुत दूर है तुम्हारे घर से हमारे घर का किनारा,पर हम हवा के हर झोंके से पूछ लेते हैं क्या हाल है तुम्हारा।