दिल की धड़कन को कौन समझेगा।
मेरी उलझन को कौन समझेगा।
एक बेटी नहीं अगर घर में
घर के आंगन को कौन समझेगा।
एक फूल अजीब था,
कभी हमारे भी बहुत करीब था,
जब हम चाहने लगे उसे,
तो पता चला वो किसी दूसरे का नसीब था ।
तू मेरे दिल पे हाथ रख के तो देख,
मैं तेरे हाथ पे दिल ना रख दूँ तो कहना..!!
कितनी जल्दी ये शाम आ गई;
गुड नाईट कहने की बात याद आ गई;
हम तो बैठे थे सितारों की महफ़िल में;
चाँद को देखा तो आपकी याद आ गई.
दिल में क्या फूल खिला करते थे,
अपना घर सजाने की खातिर,
हम उसका नाम लिखा करते थे,
कल उसे देखा तो याद आया
हम भी कभी मोहब्बत किया करते थे!!