“धन अच्छा सेवक है, परन्तु ख़राब स्वामी भी है।”
भय से तब तक ही डरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये।
एक आस, एक एहसास, मेरी सोच और बस तुम,एक सवाल, एक मजाल, तुम्हारा ख़याल और बस तुम,एक बात, एक शाम, तुम्हारा साथ और बस तुम,एक दुआ, एक फ़रियाद, तुम्हारी याद और बस तुम,मेरा जूनून, मेरा सुकून बस तुम और बस तुम
किसान के पास पैसे कम हो सकते हैं और बहुत सारी समस्याएँ भी हो सकती हैं पर वो स्वस्थ होता हैं और रात में चैन से सोता हैं.
अनाज दिन ब दिन महंगा होता जा रहा है, लेकिन उसे उपजाने वाला किसान गरीब होता जा रहा है।
मैं किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने जूनून पर
निगाहे लगी हुई है आकाश के मानसून पर.
किसान सबसे सुखी हो सकता हैं यदि वो शिक्षित हो जाएँ..
Hum toh fanaah ho gaye uski ankhen dekh kar Ghalib,Na jane woh Aaina kaise dekhte honge.