“वफादारी की बात सांप किआ नहीं करते वफादारी की बात सांप किआ नहीं करते,
क्या कहा आपने, “मोहब्बत”अरे भाई,
हम ऐसे पाप किया नहीं करते…”
टीचर – अच्छा तो बच्चों
आज मैं तुम्हारा टेस्ट लूंगी
टीचर – बंटू कबीर दास का
एक दोहा सुनाओ
बंटू –
कबीर दास है बाबरो, दोहा गयो बनाय
खुद तो कबको चली गयो, हमको गयो फसाय
टीचर बेहोश
बंता अपनी बीवी के साथ कॉफी हाउस गया।
बंता (बीवी से)-कॉफी जल्दी पी, नहीं तो ठंडी हो जाएगी!
बीवी-तो क्या हुआ जी?
बंता- मेन्यू कार्ड नहीं देखा तूने!
हॉट कॉफी- 15 रुपए
कोल्ड कॉफी- 45 रुपए
भले ही किसी गैर की जागीर थी वो,
पर मेरे ख्वाबों की भी तस्वीर थी वो,
मुझे मिलती तो कैसे मिलती,
किसी और के हिस्से की तक़दीर थी वो
रस्मे उल्फत को निभाए तो निभाए कैसे,हरतरफ आग है ,दामन को बचाए कैसे।बोझ होता जो गमों का तो उठा भी लेते,जिंदगी बोझ बनी तो फिर उठाए कैसे।