तुम्हें असफल भी होना चाहिए था,हार देती है जीवन में संतुलन और धैर्य ।
चलो फ़िर से हौले से मुस्कुराते हैं,बिना माचिस के ही लोगों को जलाते हैं।
Hum toh fanaah ho gaye uski ankhen dekh kar Ghalib,Na jane woh Aaina kaise dekhte honge.
अच्छाई और बुराई दोनों हमारे अंदर हैं
जिसका अधिक प्रयोग करोगे वो उभरती व निखरती जायगी
ये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा,
सियासत अपनी चालों से कब तक किसान को छलता रहेगा.