रेत पर लिखी बात को लहरें मिटा देती है,वो कहती नहीं पर हर बात बता देती है lलिखती है वो खत अकेले में ,खुद पढ़ती है और फिर जला देती है l
तेरी आवाज़ सुनने को तरसे है मन मेरा,
तेरी एक झलक पाने को बेकरार है मन मेरा,
अपनी ज़िंदगी का हर लम्हा तेरे साथ गुजारु,
हर पल बस यही चाहता है मन मेरा!!
Yaad rahega ye dour- E hayaat humko
Ki tarse the zindgi me zindgi ke liye
मुश्किलें दिलो के इरादे आज़माएगी
ख्वाबो के परदे निगाहो से हटाएगी
गिरकर तुझे है समभलना
यह ठोकरें ही तुझे चलना सिखाएगी…
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।