सुबह की चाय,घर की बालकनीतुम्हारे य़ादों का साथ खास है lयही सिलसिला है रोज का ,तुमसे ही चाय की मिठास है l
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
प्यार तो सब करते हैं पर हम जैसे नहीं
धोखा लोग देते हैं हम नहीं
एक बार प्यार करके तो देखो
हम सच्चे आंशिक हैं बेवफा नहीं
आदत है या तलबइश्क है या चाहततू दिल मे है या साँसों मेतू दीवानगी है या मेरी आशिकीतू ज़िन्दगी है या फिर एक किस्सापर जो भी है सिर्फ तू है
Akele hai to kya hua,Ye zindgi bhi guzar jayegi….
Hum apni tanhai mitane ke liye kisi ko majbur nahi karte…