चलो आज इस जमीं को फिर से जन्नत बनाते हैं,
रोज न सही आज दो चार पौधे लगाते हैं।
पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं
यकीन और दुआ नज़र नहीं आते मगर,
नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं।
मैं आप उस इंसान को ढूंढ रहे हैं
जो आके आपकी मदद करेगा
तो शीशे के सामने खड़े हो जाएँ
आपको वो इंसान नजर आएगा
जो आपकी मदद कर सकता है
जो बांधने से बंधे… और तोड़ने से टूट जाये…
उसका नाम है “बंधन”
जो अपने आप बन जाये… और जीवन भर ना टूटे…
उसका नाम है “संबंध”
अच्छाई और बुराई दोनों हमारे अंदर हैं
जिसका अधिक प्रयोग करोगे वो उभरती व निखरती जायगी