रूबरू मिलने का मौका मिलता नहीं है रोज,इसलिए लफ्ज़ों से तुमको छू लिया मैंने।
हम हवा नहीं जो खो कही जायेंगे,
वक़्त नहीं जो गुज़र जायेंगे,
हम मौसम नहीं जो बदल जायेंगे,
हम तो आंसू है जो ख़ुशी और
गम दोनों में साथ निभाएंगे.
कमाल की निशानेबाज हो तुम
तिरछी नजर से भी सीधा दिल पे वार करती हो
जिंदगी का हर लम्हा कुछ सिखाता है
इस साल ने भी बहुत कुछ सिखाया है
नया सीखते रहिये कभी तो काम आएगा
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूँ तश्ना-ऐ-लब पैगाम के
खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के
इश्क़ ने “ग़ालिब” निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के