इजहार-ए-मोहब्बत पे अजब हाल है उनका,आँखें तो रज़ामंद हैं लब सोच रहे हैं।
कमाल की निशानेबाज हो तुम
तिरछी नजर से भी सीधा दिल पे वार करती हो
बात दिन की नहीं, अब रात से डर लगता है
घर है कच्चा मेरा बरसात से डर लगता है
प्यार को छोड़ कर तुम और कोई बात करो
अब मुझे प्यार की हर बात से डर लगता है
हमे बेवफा बोलने वाले
आज तू भी सुनले,
जिनकी फितरत ‘बेवफा’
होती है,
उनके साथ कब ‘वफा’ होती है!!
Diye Hain Zindagi Ne Zaḳhm Aise;Ki Jin Ka Waqt Bhi Marham Nahin Hai!