मुहब्बत मेरी भी बहुत असर करती है,याद आएंगे बहुत जरा भूल के देखो।
ना छेड़ किस्सा ए उल्फत ,
बड़ी लम्बी कहानी है ।।
मैं जमाने से नहीं हारा ,
बस किसी की बात मानी है…..
न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हम,
जिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम।
Tum Laut k anay ka takalluf mat
Karna,
Hum Ek mohabbat ko Do baar Nahi kartay…
हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही खता थी…..
लकीरों को मिटाना चाहा किसी को पाने की खातिर….!!