आसमान भी बरसा नहीं अबकी सावन में,मेरी आँखें बरसती रही दिल के आँगन में.
रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है..!!क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारोंअपने तो हैं मगर अपनापन गायब है !
ऐ सावन की बारिश जरा थम के बरसजब मेरा सनम आ जाए तो जम के बरसपहले ना बरस कि वो आ न सकेजब वो आ जाए तो इतना बरस कि वो जा न सके
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश हैना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है..
Kahin Barish Baras JaayeKahin Darya Taras JaayeKahin Aa Kar Ghata TherayTumhare Or Mere DarmiyaaAaa Kar KHUDA Therey..Tou ………!!!Uss Lamhay Mere Jivan Main..Tum KHUDA Ke Baad Aatey Ho..Mujey Tum Yaad Aatey Ho