कैद खानें हैं... बिन सलाखों के,कुछ यूँ चर्चे हैं तुम्हारी आँखों के।
कैद खानें हैं... बिन सलाखों के,
कुछ यूँ चर्चे हैं तुम्हारी आँखों के।
न जाने क्या है किसी की उदास आँखों मैंवो मुंह छुपा के भी जाए तो बेवफ़ा न लगे
न जाने क्या है किसी की उदास आँखों मैं
वो मुंह छुपा के भी जाए तो बेवफ़ा न लगे