कुछ तो चाहत होगी इन बूंदों की भी,
वरना कौन छूता है…
इस जमीं को उस आसमान से टूटकर!
चाहत बन गये हो तुम या आदत बन गयेहो तुम हर सांस में यू आते जाते हो जैसेमेरी इबादत बन गये हो तुम।
चाहत बन गये हो तुम या आदत बन गये
हो तुम हर सांस में यू आते जाते हो जैसे
मेरी इबादत बन गये हो तुम।