"रोज हाँ या ना के बीच,
जदोजहद होती है,
फिर तुम्हें याद कर लेता हूँ,
फिर सफऱ की शुरआत होती है l"
नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में।
जिस जिसका मैं हुआ नहीं
उसकी जिंदगी सवर गयी
मैं राह देखता रहा जाने किसकी
और इन्ही राहों पे ये जिंदगी गुजर गयी
तेरी नज़रों से ओझल हो जायेंगे हम ,दूर फ़िज़ाओं में कहीं खो जायेंगे हम ,हमारी यादों से लिपट कर रोते रहोगे ,जब ज़मीन की मट्टी में सो जायेंगे हम..
चलो यूँ ही सही तुमने माना तो सही
मजबूर कही हम थे ये जाना तो सही
कब कहा हमने की हम बेगुनाह थे
कुछ गुनहगार तुम भी थे ये माना तो सही