"कल रात बड़ी देर तक जागी थी आँखें,
ना जाने क्या समेट लेने की चाहत थी,
बार -बार खुलती, जाने क्या ढूंढ़ती थी आंखे,
क्या किसी परी के उतर आने की आहट थी l"
न जाने क्या है किसी की उदास आँखों मैंवो मुंह छुपा के भी जाए तो बेवफ़ा न लगे
न जाने क्या है किसी की उदास आँखों मैं
वो मुंह छुपा के भी जाए तो बेवफ़ा न लगे