Akele rahne ka bhi, apna hi sukoon h na
kisi ke aane ki khushi na kisi ke jaane ka gum
“तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे...ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,उसको पढते रहे और जलाते रहे....”
मिलने का वादा कर गयी थी,
वापस लौट आउंगी ये कहकर गयी थी,
आई है अब वो जनाज़े पे मेरे,
वादा वो अपना निभाने चली थी!!
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है
मेरे दोस्तों ने इकट्ठा किया मेरे ही कत्ल का सामान,
मैंने उनसे कहा,
यारो तुम्हारी नफरत ही काफी थी मुझे मारने के लिए……