गणेश की ज्योति से नूर मिलता है;
सबके दिलों को सुरूर मिलता है;
जो भी जाता है 'गणेशा जी' के द्वार;
कुछ न कुछ ज़रूर मिलता है!
जय श्री गणेश!
दिल से जो भी मांगोगे मिलेगा,
ये गणेश जी का दरबार है,
देवों के देव वक्रतुंडा महाकाया को,
अपने हर भक्त से प्यार है।
गणेश जी का रूप निराला है,
चेहरा भी कितना भोला-भाला है,
जिसे भी आती है कोई मुसीबत,
उसे इन्ही ने तो संभाला है।