बीत जायेगा यह दौर,परेशानी की क्या बात है,भोलेनाथ की कृपा के आगेग़मों की क्या औकात है.
बारिश के पानी को अपने हाथों में समेट लो,जितना आप समेट पाए उतना आप हमें चाहते हैऔर जितना ना समेट पाए उतना हम आप को चाहते है...
Aaj Halki Halki Baarish Hay,Aaj Sard Hawa Ka Raqs Bhi Hay,Aaj Phool Bhi Nikhray Nikhray Hain,Aaj Un Main Tumhara Aks Bhi Hay
रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है..!!क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारोंअपने तो हैं मगर अपनापन गायब है !
Kuch Nasha To Aapki Baat Ka HaiKuch Nasha To Dheemi Barsaat Ka HaiHumein Aap Yun Hi Sharabi Na KahiyeIs Dil Par Asar To Aap Se Mulakat Ka Hai.