रात का मंजर कुछ ऐसा था ग़ालिबमहिलाएँ आसमान मे चाँद देख रही थीऔर पुरूष अगल बगल की छत पर
बीवियाँ आती हैं हीर की तरहअच्छी लगती हैं खीर की तरहफिर चुभती हैं तीर की तरहहालत कर देती हैं फ़कीर की तरहहैप्पी करवा चौथ