वो पढ़ न सकें मेरी आँखों से बात मेरे,
अब क्या अखबार में छपवा दूँ हालात मेरे!
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँशीशे के महल बना रहा हूँ
पके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,
सांसों में मेरी खुशबु बनके बिखर जाते हो,
कुछ यूँ चला है तेरे इश्क का जादू,
सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।
Kabhi udaas ho jayo
to btana tumhay
fir se apna dil denge
tumhe khelne k liye
उन घरो में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं,
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं.