“बूंद बूंद बेकरारी हमारीकतरा कतरा मोहब्बत तुम्हारी”
मैं तमाम दिन का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ,
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ।
तड़प रहीं हैं मेरी साँसें तुझे महसूस करने को, खुशबू की तरह बिखर जाओ तो कुछ बात बने।
Aa Bichadne Ka Koi Aur Tareeqa DhoodhenPyyar Badhta Hai Meri Jaaan Khafa Rahne Se
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझकोइस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये