“ज़िंदगी” की “तपिश” को
“सहन” कीजिए “जनाब”,
अक्सर वे “पौधे” “मुरझा” जाते हैं,
जिनकी “परवरिश” “छाया” में होती हैं…
ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते..
लेकिन कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती हैं जो पूरी उम्र याद रहता हैं.
मैं आप उस इंसान को ढूंढ रहे हैं
जो आके आपकी मदद करेगा
तो शीशे के सामने खड़े हो जाएँ
आपको वो इंसान नजर आएगा
जो आपकी मदद कर सकता है
हम तो मुफ्त की सलाह दे कर बर्बाद हो गए;
अब तो आलम ऐसा है की मांगने पर भी खेरात नहीं देते…..