मेरी हर एक मंज़िल को राहा मिल जाये,
तेरा चेहरा जब नज़र आये.
आपने नज़र से नज़र कब मिला दी, हमारी ज़िन्दगी झूमकर मुस्कुरा दी, जुबां से तो हम कुछ भी न कह सके, पर निगाहों ने दिल की कहानी सुना दी!
आँखें खुली हो तो चेहरा आपका हो, आँखें बध हो तो सपना आपका हो, हमे मौत का ना दर्र ना ख़ौफ्फ होगा, अगर कफ़न की जगह दुपट्टा आपका हो !
Is qadarr tora hai mujhe uss ke bewafayi ne "ghalib"
Ab koi agar pyar se bhi dekhahai to bikhar jata hoon main.
कितने चेहरे थे हमारे आस-पास तुम हि तुम दिल में मगर बसते रहे..!!