बेज्जती मत करो किसी की यह बहुत बुरी बीमारी है,
आक्रोश के भावों से फिर आती है अपमान को बारी,
सितारों से कम और चाँद से रोशनी ज्यादा निकले,
जब भी तेरी मैं शक्ल देखूँ, हँस-हँस के मेरा दम निकले!