फिरते हैं कब से दरबदर अब इस नगरअब उस नगर एक दूसरे के हमसफ़र मैंऔर मेरी आवारगी!
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
चंदन की लकड़ी फूलों का हार,अगस्त का महीना सावन की फुहार,भैया की कलाई बहन का प्यार,मुबारक हो आपको रक्षा-बंधनका त्यौहार।
Khuda Mujh Par Ek Nazar Kar De, Us Ajnabi Ko Mera Humsafar Kar De, Jab Bhi Wo Saans Le Use Mera Naam Sunaai De, Meri Chaahat Ka Us Par Is Kadar Asar Kar De.
ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती,मुझे जीने की सूरत नहीं मिलती,कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता,मुझे ही क्यूँ मुहब्बत नहीं मिलती।