आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
मुझे तलाश हैं एक रूह की, जो मुझे दिल से प्यार करे
वरना इंसान तो पेसो से भी मिल जाया करते हैं |
ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती,मुझे जीने की सूरत नहीं मिलती,कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता,मुझे ही क्यूँ मुहब्बत नहीं मिलती।